रविवार, 12 अप्रैल 2020

कहानी: टूटते रिश्ते निर्मल एहसास

सरोज अपने चाचा के साथ नहर पर गया हुआ था अपने जानवरों को नहलाने के लिए। रोज की भांति अपने घर के करीब पहुंचकर उसने जानवर छोड़ दिये और घर आकर टीवी देखने लगा। उधर चाचा का लड़का विशाल सरोज पर चीखता हुआ घर में आया। बिच्छी का पौधा भैंस खा गयी थी इसलिए विशाल सरोज पर चीख रहा था जबकि ये कोई नई बात नहीं थी सरोज हमेशा घर के पास आकर जानवर छोड़ देता था, और चचा जानवर बांध दिया करते थे। सरोज को ये अच्छा नहीं लगा क्योंकि कई दिनों से विशाल हर बात चिल्लाकर ही बताता था। इस पर सरोज ने कहा कि आप कोई बात सीधे तौर पर नहीं बता सकते हर बार चीखना अनिवार्य है क्या? तो विशाल ने कहा कि तुम्हारे बाप को कौन सी तमीज है वो भी हम पर चिल्लाते रहते हैं।इस पर सरोज ने कहा कि उन्हें हक है वो तुम्हें डांट सकते है, तुम्हें उनको जवाब देने का अधिकार नहीं है,तुम्हारे पिताजी पर में कभी नहीं चीखता। धीमे-धीमे बात ज्यादा बिगड़ने लगी। सरोज की आंखें भर आईं उसने कहा तुम्हें किसी से सही बात नहीं करनी आती जब तुम अपनी मां पर चिल्ला सकते हो, पापा पर चिल्ला सकते हो तो मेरी औकात ही क्या है? धीमे धीमे सरोज के पापा और विशाल में भी बातचीत बढ़ गई। बड़े भाई की पत्नी ने विशाल से कहा कि अब शांत हो जाओ सरोज रोने लगा है लेकिन विशाल लगातार चिल्ला रहा था।भाभी ने कहा कि मम्मी से जब बात चीत होती है तो सब मेरी ही गलती देते हैं लेकिन में कुछ नहीं कहती।भाभी के समझाने पर भी विशाल चिल्ला रहा था... सरोज बिन मां का लड़का था, थोड़ी सी बात भी उसे बहुत दुख पहुंचती थी और कुछ माह पहले उसकी लाडली बहन का देहांत भी हो गया था। और सरोज अंदर ही अंदर दुखी रहने लगा था.. धीमे धीमे ये बातचीत बहन तक पहुंच गई तब सरोज को ये सहन ना हुआ।उसी वक्त भाभी भी सरोज से कुछ कह रही थीं, जिस वक्त विशाल ने उसकी बहन का नाम लिया और सरोज ने कहा कि अगर मेरी बहन कुछ काम नहीं करती थी तो रोते काहे थे उसके मरने पर, और इतनी ही दिक्कत हो रही है तो बंटवारा कर लो सारी दिक्कत ख़तम हो जाएगी और कुछ ही दिनों में पता भी चल जाएगा कि तुम कैसे ऐश उड़ा रहे थे। सरोज के उठने से कुर्सी गुर पड़ी और भाभी को लगा कि सरोज उन पर ही चिल्लाया है और भाभी नाराज हो गई और विशाल की जगह सरोज कसूरवार हो गया वह उठ के कमरे से बाहर चला आया और अपने कमरे में आकर रोने लगा। भाभी कहने लगीं कि मैं इतना काम करती हूं फिर भी सब मुझ पर ही चिल्लाया करते हैं और वे सरोज से नाराज़ हो गईं। विशाल नहाने चला गया और नहाते हुए भी बराबर चिल्लाते जा रहा था, इतने में चचा ने आकर उसे डांटा तब.. इस एक घटना की वजह से सरोज 6 घंटे कमरे में पड़ा रोता रहा,भाभी ने कहा कि सरोज को मैं आज जान पाई कि ये कैसा है। थोड़ी देर बाद विशाल ,भाभी, भैया सब हंस हंस के बाते कर रहे थे और सरोज भाभी की नज़रों में गलत सिद्ध हो गया था.. सरोज रोते रोते यही सोंच रहा था कि भाभी को गलतशहमी क्यों हो गई, सरोज अंदर ही अंदर कुहा जा रहा था कि," लोग मुझे क्यों नहीं समझते, मेरे पिताजी के सिवा मेरा कोई नहीं है , इन लोगों को समझना चाहिएं कि बिन मां का लड़का अगर ये सब भी उससे नाराज रहेंगे तो वो अपने आंसू लेकर कहां जायेगा" खैर इन सब बातों का कोई मतलब नहीं था क्योंकि बंद कमरे में उसकी चीखें सुनने वाला कोई नहीं था,इसके बाद भाभी ने भी उससे बात बंद कर दी.. सरोज जिसका गुनाह नहीं था उसे है साझा मिल रही थी .. वह सोच रहा था कि रिश्तों कि डोर इतनी नाज़ुक होती है कि एक ही झटके में टूट जाए? भाभी सभी से अपनी बातें कह रहीं थीं ,सफाई दे रहीं थीं..लेकिन सरोज की चीखें सुनने वाला कोई नहीं था और ना ही सरोज कोई सफाई देना चाहता था, क्योंकि उसे यह अकेलापन विरासत में मिला था.. "आप लोगों से बस इतना ही आग्रह है कि रिश्ते की डोर टूटने ना दें , इतनी छोटी छोटी बातों पर गर रिश्ते टूटने लगे तब तो यह पावन वसुंधरा कण कण में बिखर जाएगी और पवित्र रिश्तों कि मान्यता ही नहीं रहेगी.. और हो सके तो दूसरों का दर्द समझने की कोशिश करें और उन्हें सहारा दें जिनको काम दर्द होता है वो तो बयां कर सकते हैं पर जिनका दर्द गहरा होता है उन्हें जरूरत होती है एक ऐसी नज़र की जो उनके बिना बताए समझ सके वरना तो सरोज की तरह ही किसी बंद कमरे में उनकी चीखें दफ़न होती रहती हैं आपने सबसे महत्वपूर्ण तथ्य देखा होगा ,"गलतशहमी की वजह से ज्यादा रिश्ते टूटते हैं उनमें दरार पड़ने लगती है" हो सके तो गलतफहमी जा शिकार ना हों और रिश्तों को सम्मान दें
निर्मल एहसास
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6 टिप्‍पणियां:

  1. मैं इस घटना का अंश मात्र एहसास भाई के सहपाठी जो उनके साथ रहते हैं उनके माध्यम से जानता था।इस कहानी के माध्यम से मैं आपके नाम के सार्थकता से समझ पाया।निर्मल एहसास सरोज,वाक़ई सरोज के स्पर्श का एहसास काफी निर्मल होता है।परंपरा गवाह है कि हंस ने नीर-क्षीर का विभेद करने के लिए सरोज के पग को ही चुना,यह संकेत मात्र है कि उस कमल की भांति पवित्रता,निर्मलता,स्वच्छता भाई साहब में भी निहित है - बस जरूरत है तो एहसास करने की।

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