गुरुवार, 27 जनवरी 2022

मन संन्यासी हो जायेगा..

मन सन्यासी हो जायेगा..
प्रतिबन्धों से आहत होकर
चीखें जब बाहर निकलेंगी,
और दुनिया के कानों में भी
दर्द सुनाई दे जायेगा,
इस दुनिया की रीति अलग है
प्रेम मुनासिब यहां नही अब,
लोगों को इन बातों की जब
वक्त गवाही दे जायेगा,
पत्थर के महलों तक जब तक मेरे आंसू पहुंचेंगे,
देह राख हो जायेगी और मन अविनासी हो जायेगा,
मन सन्यासी हो जायेगा..
मेरी आंखों के कुछ आंसू
जो इन गीतों में खोये हैं,
एक दिन चेहरे के आंगन में
बादल बनकर छा जायेंगे,
सावन की मदमस्त हवाएं
जब खुशबू से अलग लगेंगी,
और पपीहे कोयल भी
मेरा एहसास दिला जायेंगे,
जब तेरे अधरों पर छाकर बोलेंगे कुछ गीत हमारे,
गीत अमर हो जायेंगे और मन‌ वनवासी हो जायेगा,
मन सन्यासी हो जायेगा..
- निर्मल एहसास

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