बुधवार, 26 जनवरी 2022

यशोधरा

प्रेम का सबसे गहरा मानक बतला देना,
महाकाव्य का मझे कथानक बतला देना,
जीत-पराजय हंसते हंसते सह लेंगे,पर
छोड़ के जाना कभी अचानक बतला देना..
.
संन्यासी मन हो जीवन का युद्ध‌ बने थे,
यज्ञ की आहुति से भी ज्यादा शुद्ध बने थे,
बतला देते यशोधरा को भी कुछ दर्शन,
छोड़के उसको जब तुम गौतम बुद्ध बने थे..
निर्मल एहसास

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