मंगलवार, 25 जनवरी 2022

सहसा चटकेगी कविता...

सहसा चटकेगी
'कविता
उस कविता के सार से
एक 'कहानी' गढूंगा
फिर बहुत सारी
..कहानियां जोड़कर
लिखूंगा 'उपन्यास'
और उसमें तुम मैं और
जीवन के अलग-अलग रं ग
बि ख रे हों गे
किसी और के नाम से
अपनी मेज पर कोहनी टिकाए,
खाली पन्नों पर..
अक्सर सोचता हूं
..'मैं'
निर्मल एहसास

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